धारा 33 कहती है कि कोई भी ऐसा कार्य जिसे करने से बहुत ही मामूली हानि होती है, और जो इतनी छोटी हो कि कोई सामान्य समझ और शांत स्वभाव वाला व्यक्ति उस पर शिकायत न करे, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा।
मुख्य बिंदु:
यदि कोई कार्य: हानि पहुँचाता है, या हानि पहुँचाने के इरादे से किया गया है, या ऐसा किया गया है जिसे हानि होने की संभावना थी,
लेकिन वह हानि इतनी छोटी और सामान्य है कि कोई भी साधारण व्यक्ति शिकायत नहीं करेगा, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।
यह कैसे सुरक्षा देता है:
बहुत छोटे-मोटे मामलों को अपराध की श्रेणी में आने से रोकता है।
सामाजिक सहिष्णुता और व्यवहारिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
न्याय व्यवस्था को गंभीर मामलों पर केंद्रित रहने में मदद करता है।
उदाहरण:
भीड़ में किसी का हल्के से टकरा जाना — अपराध नहीं।
चलते-फिरते किसी का कंधा छू जाना — अपराध नहीं।
ऐसी बात या क्रिया जिससे मात्र क्षणिक असहजता हो, परंतु कोई वास्तविक हानि न हो — अपराध नहीं माना जाएगा।