आज के समय में जब इंसान के पास प्रचुर मात्रा में अनाज उगाने और संसाधन जुटाने की क्षमता है, तो जानवरों को मारकर खाना अनावश्यक और अनुचित है। प्राचीन काल में जब खेती और तकनीक विकसित नहीं थी, तब यह एक आवश्यकता थी, लेकिन अब यह केवल एक आदत बन गई है।
जहां अनाज और शाकाहारी भोजन की उपलब्धता है, वहां जानवरों को मारकर खाना नैतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से गलत है। यह न केवल जानवरों के प्रति अन्याय है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि मांस उत्पादन में पानी, ऊर्जा, और भूमि का अत्यधिक उपयोग होता है।
हमें अपनी आदतों पर विचार करना चाहिए और अपने भोजन के विकल्पों को पर्यावरण और नैतिक मूल्यों के अनुसार चुनना चाहिए।