भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103 हत्या के अपराध के लिए सजा निर्धारित करती है। यह धारा व्यक्तिगत हत्या और भेदभावपूर्ण उद्देश्यों से किए गए समूह अपराधों दोनों को कवर करती है, और ऐसे जघन्य अपराधों के लिए कड़ी जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
सजा:
कोई भी व्यक्ति जो हत्या करता है, उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास, और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
यदि हत्या पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा जाति, नस्ल, भाषा, जन्मस्थान, व्यक्तिगत विश्वास, या किसी अन्य समान कारण के आधार पर की जाती है, तो प्रत्येक समूह सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास, और जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा हत्या और समूह आधारित हिंसा को रोकती है और ऐसे अपराधों के लिए कठोरतम दंड लागू करती है। यह भेदभाव या नफरत से प्रेरित हिंसा को संबोधित करती है और न्याय, समानता और सामाजिक सद्भाव के महत्व को सुदृढ़ करती है। व्यक्तिगत और सामूहिक अपराधों दोनों को लक्षित कर, यह कानूनी ढांचा भेदभावपूर्ण हिंसा को प्रभावी ढंग से रोकता है।
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी की हत्या करता है, तो वह इस धारा के तहत सजा का पात्र है। इसी तरह, यदि पांच या अधिक व्यक्ति जाति या समुदाय के भेदभाव के आधार पर हत्या करते हैं, तो समूह के प्रत्येक सदस्य को इस कानून के तहत समान सजा का सामना करना पड़ेगा।