धारा 10: संदेह की स्थिति में न्यायोचित दंड

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 10 यह प्रावधान करती है कि यदि न्यायालय किसी व्यक्ति को एक से अधिक संभावित अपराधों में से किसी एक का दोषी मानता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता कि वह किस अपराध का दोषी है, तो उसे सबसे कम सजा वाले अपराध के लिए दंडित किया जाएगा।

मुख्य प्रावधान:

अपराध की अनिश्चितता
यदि न्यायालय यह मानता है कि आरोपी ने अपराध किया है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि कौन-सा अपराध हुआ है, तो उसे कठोरतम सजा नहीं दी जाएगी।

सबसे कम सजा का प्रावधान
यदि संभावित अपराधों के लिए अलग-अलग दंड निर्धारित हैं, तो सबसे कम सजा वाले अपराध के अनुसार दंड दिया जाएगा।

यदि सभी अपराधों की सजा समान है, तो आरोपी को वही सजा दी जाएगी।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?

यह निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करती है, खासकर उन मामलों में जहां अपराध की सही प्रकृति स्पष्ट नहीं होती।

यह अनावश्यक कठोर दंड को रोकती है।

यह आरोपी को गलत तरीके से अत्यधिक सजा मिलने से बचाती है।

उदाहरण:

यदि किसी व्यक्ति पर या तो चोरी (3 साल की सजा) या डकैती (7 साल की सजा) का आरोप है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में कौन सा अपराध हुआ, तो

न्यायालय उसे कम दंड वाले अपराध (3 साल की चोरी) के लिए दंडित करेगा।