धारा 8: जुर्माने की राशि, गैर-भुगतान पर दंड, और वसूली प्रक्रिया

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 8 यह निर्धारित करती है कि जुर्माना कैसे लगाया जाएगा, यदि भुगतान नहीं किया जाता तो क्या दंड होगा, और बकाया जुर्माना कैसे वसूला जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि अपराधी जुर्माना न भरने की स्थिति में अतिरिक्त दंड झेलें और जुर्माना अनुचित रूप से अधिक न हो।

मुख्य प्रावधान:

जुर्माने की सीमा
यदि कानून में निश्चित जुर्माने की राशि नहीं दी गई है, तो जुर्माना असीमित हो सकता है, लेकिन अत्यधिक नहीं होना चाहिए।

कैद के साथ जुर्माना
यदि अपराध कैद और जुर्माने दोनों से दंडनीय है, और अपराधी को केवल जुर्माने की सजा दी गई है (चाहे कैद के साथ या बिना), तो न्यायालय गैर-भुगतान की स्थिति में अतिरिक्त कैद लगाने का आदेश दे सकता है।

यह अतिरिक्त कैद पहले से दी गई सजा से अलग होगी।

गैर-भुगतान पर अधिकतम कैद की अवधि
यदि अपराध कैद और जुर्माने दोनों से दंडनीय है, तो जुर्माना न भरने पर दी गई अतिरिक्त कैद, अपराध की अधिकतम सजा की एक-चौथाई से अधिक नहीं हो सकती।

गैर-भुगतान की स्थिति में कैद का प्रकार
यदि कोई अपराधी जुर्माना या सामुदायिक सेवा पूरी नहीं करता है, तो न्यायालय अपराध की प्रकृति के अनुसार कठोर या साधारण कैद का आदेश दे सकता है।

यदि अपराध केवल जुर्माने या सामुदायिक सेवा से दंडनीय था, तो गैर-भुगतान की स्थिति में केवल साधारण कैद होगी।

जुर्माने की राशि के अनुसार कैद की अवधि
₹5,000 तक का जुर्माना → अधिकतम 2 महीने की कैद।

₹10,000 तक का जुर्माना → अधिकतम 4 महीने की कैद।

₹10,000 से अधिक जुर्माना → अधिकतम 1 वर्ष की कैद।

जुर्माने के भुगतान पर कैद समाप्त होगी
यदि अपराधी पूरी राशि चुका देता है, तो उसकी कैद तुरंत समाप्त हो जाएगी।

यदि आंशिक भुगतान किया जाता है, तो कैद प्रति-अनुपात में घटाई जाएगी।

उदाहरण: यदि A को ₹1,000 जुर्माना या 4 महीने की कैद हुई, और A ने ₹750 पहले महीने में चुका दिए, तो उसे 1 महीने बाद रिहा कर दिया जाएगा।

बकाया जुर्माने की वसूली
कोई भी जुर्माना 6 साल तक वसूला जा सकता है।

यदि अपराधी की सजा 6 साल से अधिक है, तो यह अवधि समाप्त होने तक जुर्माना वसूला जा सकता है।

यदि अपराधी मर जाता है, तो उसका बकाया जुर्माना उसकी संपत्ति से वसूला जा सकता है।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?
सुनिश्चित करता है कि अपराधी जुर्माना अदा करें।

अनुचित रूप से अधिक जुर्माने को रोकता है।

स्पष्ट नियम प्रदान करता है कि किस स्थिति में कैद कम की जा सकती है।

उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति ₹10,000 जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 4 महीने की साधारण कैद भुगतनी पड़ सकती है।

यदि वह 2 महीने बाद ₹5,000 भर देता है, तो उसे जल्दी रिहा किया जा सकता है।

2 Likes