धारा 137: अपहरण के खिलाफ कानूनी सुरक्षा

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 137 अपहरण को किसी व्यक्ति को भारत की सीमा से बाहर ले जाने या किसी बच्चे या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को उनके कानूनी संरक्षक से अवैध रूप से हटाने के रूप में परिभाषित करती है।

यह धारा बच्चों और कमजोर व्यक्तियों को अवैध रूप से ले जाने से बचाने के लिए लागू की जाती है।

अपहरण के प्रकार:
भारत से अपहरण: जब किसी व्यक्ति को भारत की सीमा से बाहर ले जाया जाता है, बिना उसकी सहमति या उसके कानूनी अभिभावक की अनुमति के।

कानूनी अभिभावक से अपहरण: जब किसी बच्चे या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को उनके संरक्षक से बिना अनुमति के हटा दिया जाता है।

अपवाद:
यदि कोई व्यक्ति इमानदारी से खुद को किसी नाजायज बच्चे का पिता मानता है या खुद को उसकी वैध कस्टडी के लिए पात्र मानता है, तो यह अपहरण नहीं होगा, जब तक कि यह कार्य अवैध या अनैतिक उद्देश्य के लिए न किया गया हो।

सजा:
जो कोई भारत से या कानूनी अभिभावक से अपहरण करता है, उसे सात साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा नाबालिगों, विकलांग व्यक्तियों और अन्य कमजोर लोगों को अवैध अपहरण से बचाने में मदद करती है।

यह माता-पिता और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा करती है और सीमा पार अपहरण को रोकने के लिए सख्त दंड का प्रावधान करती है।

उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति बच्चे को उसके माता-पिता की सहमति के बिना विदेश ले जाता है, तो यह भारत से अपहरण होगा।

इसी तरह, यदि कोई किसी नाबालिग को उनके कानूनी अभिभावक से बिना अनुमति के ले जाता है, तो यह कानूनी अभिभावक से अपहरण माना जाएगा।