भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 189 उन मामलों पर लागू होती है जब पांच या अधिक लोग किसी अवैध उद्देश्य से एकत्र होते हैं, जैसे कि अपराध करना, सार्वजनिक शांति भंग करना, या आपराधिक बल प्रयोग करना।
यह धारा सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त दंड का प्रावधान करती है।
अवैध सभा की परिभाषा:
कोई सभा अवैध मानी जाती है यदि उसका उद्देश्य निम्नलिखित में से कोई हो:
केंद्र या राज्य सरकार, संसद, विधानसभा, या सार्वजनिक सेवक को आपराधिक बल से डराना या बाधित करना।
किसी कानून या कानूनी प्रक्रिया का विरोध करना।
उपद्रव, आपराधिक अतिक्रमण, या अन्य अपराध करना।
किसी संपत्ति पर जबरन कब्जा करना या किसी व्यक्ति को उनके वैध अधिकारों से वंचित करना।
किसी व्यक्ति को आपराधिक बल से ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर करना, जो वह कानूनी रूप से करने के लिए बाध्य नहीं है।
सजा:
अवैध सभा में शामिल होना: छह महीने तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
अवैध सभा में आदेश के बावजूद न हटना: दो साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
घातक हथियार के साथ अवैध सभा में शामिल होना: दो साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
किसी को अवैध सभा में शामिल होने के लिए प्रेरित करना: सभा के सदस्य के रूप में दंडित किया जाएगा।
अवैध सभा के सदस्यों को शरण देना या छुपाना: छह महीने तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा सार्वजनिक शांति बनाए रखने और अवैध सभाओं को रोकने में मदद करती है।
यह सुनिश्चित करती है कि जो लोग अवैध उद्देश्यों के लिए सभा में शामिल होते हैं या दूसरों को उकसाते हैं, उन्हें सख्त सजा दी जाए।
उदाहरण:
यदि पांच या अधिक लोग किसी सार्वजनिक संपत्ति पर जबरन कब्जा करने के लिए इकट्ठा होते हैं, तो यह अवैध सभा होगी।
इसी तरह, यदि कोई व्यक्ति दूसरों को हिंसक प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है, तो वह भी दोषी होगा।