भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 310 डकैती को परिभाषित करती है, जिसमें पांच या अधिक व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप से की गई लूट या डकैती शामिल होती है।
यदि पांच या अधिक व्यक्ति मिलकर डकैती करते हैं, उसका प्रयास करते हैं, या उसमें सहायता करते हैं, तो इसे डकैती माना जाता है।
सजा:
डकैती करने वाले को आजीवन कारावास, या दस साल तक के कठोर कारावास, और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
यदि डकैती के दौरान किसी एक व्यक्ति द्वारा हत्या की जाती है, तो समूह के सभी सदस्यों को मृत्युदंड, आजीवन कारावास, या न्यूनतम दस साल के कठोर कारावास, और जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा संगठित लूटपाट के खिलाफ कठोर दंड सुनिश्चित करती है, जिससे बड़े पैमाने पर होने वाले अपराधों पर रोक लगाई जा सके।
इसमें शामिल सभी व्यक्तियों को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है, भले ही हत्या या हिंसा किसी एक व्यक्ति द्वारा की गई हो।
डकैती की तैयारी को भी अपराध माना गया है, जिससे अपराधी समूहों के गठन को रोका जा सके।
उदाहरण:
यदि पांच या अधिक लोग मिलकर बैंक लूटते हैं, तो सभी डकैती के दोषी होंगे।
इसी तरह, यदि कोई गिरोह हाईवे पर लूटपाट करता है, या यदि किसी एक सदस्य द्वारा डकैती के दौरान हत्या की जाती है, तो पूरी टीम पर समान कड़ी सजा लागू होगी।