धारा 326: सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अपराध पर कड़ी सजा

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 326 उन मामलों को कवर करती है, जहां कोई व्यक्ति जानबूझकर या यह जानते हुए कि इससे नुकसान हो सकता है, सार्वजनिक संसाधनों, बुनियादी ढांचे, या संपत्ति को क्षति पहुंचाने का कार्य करता है।

इसमें जल आपूर्ति बाधित करना, सड़कें अवरुद्ध करना, सार्वजनिक निकासी प्रणाली को नुकसान पहुंचाना, नेविगेशन संकेत नष्ट करना, सरकारी भूमि चिह्न हटाना, आग या विस्फोटक से संपत्ति नष्ट करना शामिल है।

सजा:
कृषि, पीने, या निर्माण के लिए जल आपूर्ति बाधित करने पर पांच साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।

सड़कें, पुल, या नेविगेशन मार्ग अवरुद्ध करने पर पांच साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।

बाढ़ या सार्वजनिक जल निकासी प्रणाली को अवरुद्ध कर नुकसान पहुंचाने पर पांच साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।

रेलवे, हवाई, या समुद्री नेविगेशन संकेत नष्ट करने पर सात साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।

सरकारी निर्धारित भूमि चिह्न हटाने पर एक साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों।

आग या विस्फोटक से संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सात साल तक की कैद, और जुर्माना।

पूजा स्थल, आवासीय भवन, या संपत्ति भंडारण भवन को आग या विस्फोटक से नष्ट करने पर आजीवन कारावास या दस साल तक की कैद, और जुर्माना।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा महत्वपूर्ण संसाधनों, सार्वजनिक सुरक्षा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड प्रदान करती है।

यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, जल आपूर्ति, या संपत्ति को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने वाले अपराधियों को सख्त सजा मिले।

उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर सार्वजनिक जल आपूर्ति पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाता है, पुल को अवरुद्ध करता है, या किसी गोदाम में आग लगा देता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा।

इसी तरह, रेलवे संकेतों या हवाई व समुद्री नेविगेशन मार्करों को नष्ट करना भी इस कानून के तहत गंभीर अपराध है।