धारा 223: लोक सेवकों के आदेशों के अनुपालन को सुनिश्चित करना

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति कानूनी रूप से अधिकृत लोक सेवक द्वारा जारी आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करता है, जिसमें उसे किसी कार्य से बचने या अपनी संपत्ति के संबंध में कोई विशेष कार्रवाई करने के लिए कहा गया हो।

यह धारा कानूनी आदेशों के पालन को सुनिश्चित करती है और सार्वजनिक व्यवस्था व सुरक्षा बनाए रखने में मदद करती है।

सजा:
यदि अवहेलना से बाधा, असुविधा, या चोट पहुँचती है छह महीने तक की कैद, या ₹2,500 तक का जुर्माना, या दोनों।

यदि अवहेलना से मानव जीवन, स्वास्थ्य, सुरक्षा को खतरा हो, या दंगा या झगड़ा उत्पन्न हो एक साल तक की कैद, या ₹5,000 तक का जुर्माना, या दोनों।

व्याख्या:
अपराधी का इरादतन नुकसान पहुंचाने का उद्देश्य होना जरूरी नहीं है।

यदि वह आदेश की जानकारी रखता था और उसकी अवहेलना से नुकसान हुआ या होने की संभावना थी, तो उसे इस धारा के तहत दोषी माना जाएगा।

उदाहरण:
यदि कोई लोक सेवक धार्मिक जुलूस को किसी विशेष मार्ग से न जाने का आदेश देता है ताकि सांप्रदायिक हिंसा न हो, लेकिन कोई व्यक्ति जानबूझकर इस आदेश का उल्लंघन करता है और दंगा भड़कता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती है और सरकारी आदेशों की अवहेलना करने वालों को दंडित करती है। यह दंगे, सार्वजनिक अशांति, और सुरक्षा खतरों को रोकने में मदद करती है।

अन्य उदाहरण:
यदि पुलिस किसी प्रदर्शन के लिए निर्दिष्ट मार्ग तय करती है लेकिन प्रदर्शनकारी इसका उल्लंघन कर हिंसा भड़काते हैं, तो वे इस धारा के तहत दोषी होंगे।

इसी तरह, यदि सरकार महामारी के दौरान सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध लगाती है और कोई व्यक्ति इसे तोड़कर लोगों की जान जोखिम में डालता है, तो उसे सजा दी जाएगी।