धारा 59 उन लोक सेवकों को दंडित करती है जो अपने कर्तव्य का उल्लंघन करते हुए किसी गंभीर अपराध की योजना को जानबूझकर छिपाते हैं। यह प्रावधान विशेष रूप से उन व्यक्तियों को लक्षित करता है जिन पर समाज की रक्षा की जिम्मेदारी है, जैसे पुलिस अधिकारी।
मुख्य प्रावधान:
यदि कोई लोक सेवक जानबूझकर या यह जानते हुए कि उसका कार्य किसी अपराध को बढ़ावा देगा:
- किसी कार्य, चूक, एन्क्रिप्शन या अन्य सूचना छिपाने के तरीकों से उस अपराध की योजना को छिपाता है, जिसे रोकना उसका कानूनी कर्तव्य है, या
- उस योजना के बारे में झूठी जानकारी देता है,
तो उसे निम्नानुसार दंडित किया जाएगा:
- (क) यदि अपराध हो जाता है:
- उस अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की आधी अवधि तक का कारावास, या
- उस अपराध के लिए जुर्माना, या
- दोनों।
- (ख) यदि अपराध मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय हो:
- साधारण या कठोर कारावास, अधिकतम 10 वर्ष तक।
- (ग) यदि अपराध नहीं होता है:
- उस अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की एक-चौथाई अवधि तक का कारावास, या
- उस अपराध के लिए जुर्माना, या
- दोनों।
यह कैसे सुरक्षा देता है:
- यह सुनिश्चित करता है कि लोक सेवक अपने कानूनी कर्तव्य का पालन करें और अपराध की योजनाओं को छिपाकर दोषियों की सहायता न करें।
- पद और तकनीकी साधनों के दुरुपयोग को रोकता है।
- सार्वजनिक विश्वास की रक्षा करता है।
उदाहरण:
- A एक पुलिस अधिकारी है, जो डकैती की योजना की जानकारी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।
- वह जानता है कि B डकैती की योजना बना रहा है, लेकिन वह सूचना नहीं देता और डकैती को सफल बनाने के उद्देश्य से जानबूझकर चुप रहता है।
- A ने इस धारा के अंतर्गत अपराध किया है और दंड के लिए उत्तरदायी है।