धारा 49: जब अपराध अभिप्रेरण से हुआ हो, तो दोषी को समान सज़ा

धारा 49 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए अभिप्रेरण करता है और वह अपराध वास्तव में अभिप्रेरण के कारण किया जाता है, तो उस व्यक्ति को उसी अपराध के समान दंड दिया जाएगा - भले ही उस अभिप्रेरण के लिए संहिता में कोई अलग प्रावधान न हो

मुख्य बिंदु:

  • यदि:
    • कोई व्यक्ति अभिप्रेरण करता है, और
    • अपराध वास्तव में उस अभिप्रेरण के कारण होता है,
    • और संहिता में उस प्रकार के अभिप्रेरण के लिए कोई विशेष दंड प्रावधान नहीं है, तो अभिप्रेरक को वही दंड मिलेगा, जो उस अपराध के लिए निर्धारित है।

व्याख्या:

यदि कोई कार्य:

  • उकसावे
  • षड्यंत्र
  • या सहायता
    के कारण होता है, तो वह अभिप्रेरण का परिणाम माना जाएगा।

उदाहरण (क):

A, B को झूठी गवाही देने के लिए उकसाता है।
B अपराध करता है।
A को उसी दंड से दंडित किया जाएगा जो B को मिलना था।

उदाहरण (ख):

A और B, Z को ज़हर देने की योजना बनाते हैं।
A, B को ज़हर देता है, और B उसे Z को दे देता है जिससे Z की मौत हो जाती है।
B हत्या का दोषी है, और A षड्यंत्र द्वारा अभिप्रेरण के लिए हत्या के समान दंड का पात्र है।

यह कैसे सुरक्षा देता है:

  • यह सुनिश्चित करता है कि अभिप्रेरक व्यक्ति भी उतना ही दोषी हो, जितना अपराध करने वाला।
  • यदि संहिता में अभिप्रेरण के लिए अलग से दंड न हो, तब भी दोषी को बख्शा नहीं जा सकता
  • यह कानून को व्यापक और जवाबदेह बनाता है।

उदाहरण:

  • A, B को किसी इमारत को जलाने के लिए कहता है। B करता है।
    A को भी आगजनी के लिए वही सज़ा मिलेगी, चाहे अभिप्रेरण का अलग प्रावधान न हो।
  • C और D मिलकर चोरी की योजना बनाते हैं। D चोरी करता है।
    यदि संहिता में चोरी के अभिप्रेरण के लिए अलग प्रावधान नहीं भी है, तो भी C चोरी के लिए दोषी होगा