धारा 40 यह स्पष्ट करती है कि शरीर की रक्षा का अधिकार कब शुरू होता है और कब तक चलता है। यह अधिकार तब भी प्रारंभ हो जाता है जब केवल खतरे की आशंका हो, और तब तक जारी रहता है जब तक वह आशंका समाप्त नहीं हो जाती।
मुख्य बिंदु:
- अधिकार की शुरुआत:
- जैसे ही कोई व्यक्ति संगत रूप से यह महसूस करता है कि उसके शरीर को किसी अपराध के प्रयास या धमकी से खतरा है,
- भले ही अपराध हुआ न हो, व्यक्ति को अपनी रक्षा का अधिकार मिल जाता है।
- अधिकार की समाप्ति:
- जब तक वह खतरे की आशंका बनी रहती है, तब तक यह रक्षा का अधिकार कायम रहता है।
- जैसे ही खतरा समाप्त हो जाता है, व्यक्ति को बल प्रयोग बंद करना होगा।
उदाहरण:
- कोई व्यक्ति आप पर हमला करने के लिए डंडा उठाता है, आप हमले के पहले ही अपनी रक्षा कर सकते हैं।
- लेकिन अगर वह व्यक्ति डंडा फेंक देता है और भाग जाता है, तो अब आप उस पर हमला नहीं कर सकते - रक्षा का अधिकार समाप्त हो गया है।
यह कैसे सुरक्षा देता है:
- तत्काल खतरे के समय कार्य करने का अधिकार देता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति अपने शरीर की रक्षा बिना विलंब कर सके।
- अधिकार की सीमाएं भी निर्धारित करता है, ताकि उसका दुरुपयोग न हो।