धारा 41 के अनुसार, व्यक्ति को अपनी संपत्ति की रक्षा में मृत्यु या गंभीर हानि पहुंचाने का अधिकार तब होता है, जब कोई व्यक्ति निम्नलिखित गंभीर अपराधों को करता है या करने का प्रयास करता है, बशर्ते कि यह कार्य धारा 37 में बताए गए प्रतिबंधों के अधीन हो।
इन अपराधों के विरुद्ध व्यक्ति जान से मारने तक की रक्षा कर सकता है:
(क) डकैती (Robbery)
(ख) सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले घर में घुसना (House-breaking at night)
(ग) ऐसी इमारत, तंबू या जहाज़ पर आग लगाकर या विस्फोटक से क्षति पहुँचाना, जो मनुष्यों के निवास या संपत्ति की सुरक्षा के लिए उपयोग में है।
(घ) चोरी, नुकसान या आपराधिक अतिक्रमण, ऐसी स्थिति में जिसमें मृत्यु या गंभीर चोट की आशंका हो, अगर व्यक्ति रक्षा नहीं करता है।
यह कैसे सुरक्षा देता है:
- गंभीर परिस्थितियों में व्यक्ति को अपनी संपत्ति की रक्षा करने का कानूनी अधिकार देता है।
- यदि खतरा इतना गंभीर है कि जीवन खतरे में हो सकता है, तो व्यक्ति घातक कदम उठा सकता है।
- यह समाज में आत्म-सुरक्षा और कानून के पालन की भावना को सशक्त करता है।
उदाहरण:
- कोई व्यक्ति रात में आपके घर में घुसता है - आप उसे रोकने के लिए प्राणघातक बल का उपयोग कर सकते हैं।
- कोई आपके घर या दुकान को आग लगा देता है - आप उसकी रोकथाम के लिए घातक कदम उठा सकते हैं।
- कोई चोर ऐसा व्यवहार करता है जिससे यह डर हो कि आप पर हमला किया जाएगा - आप प्रतिक्रिया में जानलेवा बल प्रयोग कर सकते हैं।