धारा 35: शरीर और संपत्ति की रक्षा का कानूनी अधिकार

धारा 35 यह स्पष्ट करती है कि हर व्यक्ति को अपने या किसी अन्य व्यक्ति के:

  • शरीर की रक्षा करने का, और
  • चल या अचल संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार है,
    जब तक कि यह अधिकार धारा 37 में दिए गए प्रतिबंधों के अधीन हो

मुख्य प्रावधान:

  1. शरीर की रक्षा का अधिकार:
  • कोई भी व्यक्ति अपने या किसी अन्य व्यक्ति के शरीर की रक्षा कर सकता है यदि वह मानव शरीर से संबंधित किसी अपराध का शिकार हो रहा हो (जैसे हमला, अपहरण, बलात्कार, हत्या आदि)।
  1. संपत्ति की रक्षा का अधिकार:
  • कोई भी व्यक्ति अपनी या किसी अन्य की चल या अचल संपत्ति की रक्षा कर सकता है यदि वह नीचे दिए गए अपराधों से प्रभावित हो:
    • चोरी (Theft)
    • डकैती (Robbery)
    • नुकसान पहुंचाना (Mischief)
    • आपराधिक अतिक्रमण (Criminal Trespass)
    • या उपरोक्त में से किसी अपराध का प्रयास।
  1. कुछ प्रतिबंध लागू होंगे:
  • यह अधिकार धारा 37 में निर्धारित नियमों और सीमाओं के अधीन है।

यह कैसे सुरक्षा देता है:

  • व्यक्ति को खुद को या दूसरों को तत्काल खतरे से बचाने का कानूनी अधिकार देता है।
  • व्यक्ति को शारीरिक सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा का सीधा अधिकार देता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति कानूनन अपनी रक्षा कर सके, विशेषकर जब पुलिस तुरंत न पहुँच सके।

उदाहरण:

  • कोई व्यक्ति आपका बैग छीनने की कोशिश करता है, तो आप उसे रोक सकते हैं।
  • अगर कोई किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करता है, तो आप उस व्यक्ति की रक्षा कर सकते हैं।