धारा 60: कारावास से दंडनीय अपराध की योजना छिपाने पर सजा

धारा 60 उन मामलों से संबंधित है जहां कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराध की योजना को छिपाता है जो कारावास से दंडनीय है (मृत्यु या आजीवन कारावास नहीं)। अगर व्यक्ति जानबूझकर छुपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो अपराध हो या न हो — दोनों ही स्थितियों में सजा दी जाती है।

मुख्य प्रावधान:

यदि कोई व्यक्ति, यह जानते हुए या आशयपूर्वक कि उसका कार्य अपराध को बढ़ावा देगा:

  • किसी कार्य या अवैध चूक द्वारा अपराध की योजना को छिपाता है, या
  • उस योजना के बारे में झूठा बयान देता है,

तो उसे निम्न प्रकार से दंडित किया जाएगा:

  • (क) यदि अपराध हो जाता है:
    • उस अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की एक-चौथाई अवधि तक का कारावास।
  • (ख) यदि अपराध नहीं होता है:
    • उस अपराध के लिए अधिकतम कारावास की एक-आठवीं अवधि तक का कारावास, या
    • उस अपराध के लिए निर्धारित जुर्माना, या
    • दोनों

यह कैसे सुरक्षा देता है:

  • अपराध की योजना को छिपाने वालों को उत्तरदायी बनाता है, भले ही अपराध हो या न हो।
  • जल्दी सूचना देने को प्रोत्साहित करता है, जिससे अपराध रोका जा सके।
  • समाज में जवाबदेही और जागरूकता को बढ़ावा देता है।

उदाहरण:

  • A को पता है कि उसका मित्र जालसाजी करने वाला है, जो कारावास से दंडनीय है।
  • A इस जानकारी को जानबूझकर छिपा लेता है, या गलत जानकारी देता है
  • यदि जालसाजी होती है, तो A को अधिकतम कारावास की एक-चौथाई अवधि तक सजा मिल सकती है।
  • यदि जालसाजी नहीं होती है, तो एक-आठवीं अवधि तक कारावास, या जुर्माना, या दोनों मिल सकते हैं।