भारतीय न्याय संहिता की धारा 80: दहेज हत्या

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 80 दहेज हत्या के अपराध से संबंधित है। यह तब लागू होती है जब किसी महिला की मृत्यु जलने, शारीरिक चोटों या अन्य अप्राकृतिक परिस्थितियों में उसकी शादी के सात साल के भीतर हो जाती है, और यह साबित होता है कि उसकी मृत्यु से पहले उसके पति या ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित या उत्पीड़ित किया गया था।

ऐसे मामलों में, पति या ससुराल वालों को उसकी मृत्यु का दोषी माना जाएगा। “दहेज” का अर्थ दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 के अनुसार लिया जाएगा।

सजा:
जो कोई भी दहेज हत्या का दोषी पाया जाता है, उसे कम से कम सात साल की सजा दी जाएगी, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करता है:
यह प्रावधान दहेज से संबंधित उत्पीड़न और मौतों को रोकने के लिए एक सख्त कानून है। यह दहेज प्रथा को हतोत्साहित करता है और पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करता है।

उदाहरण:
यदि किसी महिला की अप्राकृतिक परिस्थितियों में मृत्यु हो जाती है और यह साबित होता है कि उसके पति या ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया, तो उन्हें इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा।