धारा 43: संपत्ति की रक्षा का अधिकार कब शुरू और कब समाप्त होता है

धारा 43 यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति को अपनी संपत्ति की रक्षा का अधिकार कब शुरू होता है और कब तक चलता है, यह इस पर निर्भर करता है कि अपराध किस प्रकार का है।

मुख्य प्रावधान:

(क) अधिकार की शुरुआत तब होती है जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति के लिए खतरे की उचित आशंका महसूस करता है

(ख) चोरी के विरुद्ध अधिकार तब तक चलता है जब तक: चोर संपत्ति लेकर भाग न जाए, या सार्वजनिक प्राधिकरण से सहायता न मिल जाए, या संपत्ति वापस न मिल जाए

(ग) डकैती के विरुद्ध अधिकार तब तक चलता है जब तक: अपराधी किसी को चोट, मृत्यु या बंधन पहुंचाने का प्रयास करता है, या तत्काल मृत्यु या चोट का भय बना रहता है।

(घ) आपराधिक अतिक्रमण या क्षति (mischief) के विरुद्ध अधिकार तब तक चलता है जब तक: अपराधी अपराध कर रहा हो

(ङ) सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले घर में घुसपैठ (house-breaking) के विरुद्ध अधिकार तब तक रहता है जब तक: उस घर में अतिक्रमण जारी रहता है

यह कैसे सुरक्षा देता है:

  • यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति समय पर और उचित स्थिति में अपनी संपत्ति की रक्षा कर सके
  • यह बताता है कि अधिकार का उपयोग कब तक वैध है - न तो पहले और न ही खतरे के समाप्त होने के बाद।
  • व्यक्ति को कानूनी ढंग से अपनी संपत्ति बचाने का अधिकार देता है

उदाहरण:

  • कोई व्यक्ति रात में आपके घर में घुसता है - आपका रक्षा का अधिकार तब तक है जब तक वह घुसपैठ कर रहा है
  • कोई आपकी दुकान में तोड़फोड़ कर रहा है - आप तब तक हस्तक्षेप कर सकते हैं जब तक अपराध चल रहा है
  • यदि डकैत आपको या किसी को चोट पहुंचा रहा है, तो आपका अधिकार तब तक कायम रहेगा जब तक खतरा बना हुआ है