भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 200 उन सरकारी या निजी अस्पतालों के संचालकों पर लागू होती है, जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकायों, या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित होते हैं और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 397 का उल्लंघन करते हुए पीड़ित के इलाज में लापरवाही बरतते हैं।
यह कानून सुनिश्चित करता है कि कोई भी अस्पताल पीड़ितों को इलाज देने से इनकार न करे।
सजा:
जो कोई कानून का उल्लंघन करते हुए पीड़ित के इलाज में लापरवाही करता है, उसे एक साल तक की कैद, या जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा पीड़ितों को समय पर और बिना भेदभाव के इलाज प्राप्त करने की गारंटी देती है।
यह अस्पतालों और चिकित्सा पेशेवरों को जवाबदेह ठहराती है, जिससे आपातकालीन मामलों में इलाज से इनकार करना अपराध माना जाता है।
उदाहरण:
यदि कोई निजी अस्पताल सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को पैसे की कमी के कारण इलाज देने से इनकार करता है, तो यह इस धारा के तहत दंडनीय होगा।
इसी तरह, यदि कोई सरकारी अस्पताल किसी आपातकालीन रोगी को बिना वैध कारण इलाज देने से इनकार करता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।