धारा 7: न्यायालय को कारावास के प्रकार चुनने का अधिकार

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 7 न्यायालय को यह अधिकार देती है कि वह सजा के रूप में दिए गए कारावास (Imprisonment) को कठोर (Rigorous) या साधारण (Simple) के रूप में तय कर सके।

मुख्य प्रावधान:

कारावास के प्रकार
कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) - अपराधी को कठोर श्रम करना होगा।

साधारण कारावास (Simple Imprisonment) - अपराधी को केवल कारावास में रहना होगा, लेकिन श्रम नहीं करना होगा।

न्यायालय का अधिकार
यदि किसी अपराधी को ऐसी सजा दी जाती है जिसमें दोनों प्रकार के कारावास संभव हैं, तो न्यायालय यह तय कर सकता है कि:

पूरी सजा कठोर कारावास होगी।

पूरी सजा साधारण कारावास होगी।

कुछ भाग कठोर कारावास और बाकी साधारण कारावास होगा।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?
यह सुनिश्चित करती है कि सजा अपराध की गंभीरता के अनुसार दी जाए।

न्यायालय को लचीलापन (Judicial Flexibility) देती है ताकि वह अपराध की प्रकृति के अनुसार कारावास का प्रकार तय कर सके।

यह हिंसक और गैर-हिंसक अपराधियों के बीच अंतर करने में मदद करती है।

उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति को गंभीर हमले (Serious Assault) का दोषी पाया जाता है, तो उसे कठोर कारावास दिया जा सकता है।

यदि कोई व्यक्ति मानहानि (Defamation) के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो उसे साधारण कारावास दिया जा सकता है।

यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी (Fraud) करता है, तो उसे कुछ समय के लिए कठोर और बाकी के लिए साधारण कारावास दिया जा सकता है।

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