धारा 11: एकांत कारावास के लिए कानूनी सीमाएं

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 11 न्यायालय को यह अधिकार देती है कि वह कठोर कारावास की सजा पाने वाले अपराधी को कुछ समय के लिए एकांत कारावास (Solitary Confinement) में रख सकता है। हालांकि, इसकी अधिकतम अवधि को सख्ती से नियंत्रित किया गया है।

मुख्य प्रावधान:

कब दिया जा सकता है एकांत कारावास?
केवल कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) की सजा पाने वाले अपराधियों पर लागू होता है।

एकांत कारावास की अधिकतम अवधि तीन महीने से अधिक नहीं हो सकती।

कैद की अवधि के अनुसार एकांत कारावास की सीमा
यदि कैद 6 महीने तक की हो अधिकतम 1 माह तक का एकांत कारावास दिया जा सकता है।

यदि कैद 6 महीने से अधिक लेकिन 1 वर्ष तक हो अधिकतम 2 माह तक का एकांत कारावास दिया जा सकता है।

यदि कैद 1 वर्ष से अधिक हो अधिकतम 3 माह तक का एकांत कारावास दिया जा सकता है।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?

अत्यधिक एकांत कारावास से बचाव करती है, जिससे यह अमानवीय दंड न बने।

सुनिश्चित करती है कि एकांत कारावास की अवधि कैद की कुल अवधि के अनुसार उचित हो।

न्यायालय को विवेकाधिकार देती है कि केवल आवश्यक मामलों में ही एकांत कारावास का उपयोग किया जाए।

उदाहरण:

यदि किसी व्यक्ति को 8 महीने के कठोर कारावास की सजा दी जाती है, तो उसे अधिकतम 2 महीने तक एकांत कारावास में रखा जा सकता है।

यदि किसी व्यक्ति को 3 साल की सजा दी जाती है, तो उसे अधिकतम 3 महीने तक ही एकांत कारावास में रखा जा सकता है।