भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 12 यह निर्धारित करती है कि एकांत कारावास (Solitary Confinement) की अवधि को सीमित किया जाए, ताकि यह अमानवीय न हो। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि एकांत कारावास का प्रयोग अनुशासनात्मक उद्देश्य के लिए ही हो और इसे अनावश्यक रूप से लंबी अवधि तक न बढ़ाया जाए।
मुख्य प्रावधान:
लगातार एकांत कारावास की अधिकतम अवधि
14 दिनों से अधिक लगातार एकांत कारावास नहीं दिया जा सकता।
प्रत्येक एकांत कारावास के बाद कम से कम 14 दिनों का अंतराल अनिवार्य है।
यदि कारावास 3 महीने से अधिक हो तो विशेष प्रावधान
यदि अपराधी को तीन महीने से अधिक कारावास की सजा दी गई है, तो:
एक महीने में अधिकतम 7 दिन ही एकांत कारावास दिया जा सकता है।
हर एकांत कारावास अवधि के बाद, उतने ही दिनों का अनिवार्य ब्रेक देना होगा।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?
यह कैदियों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
अत्यधिक एकांत कारावास से उत्पन्न होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोकती है।
सुनिश्चित करती है कि एकांत कारावास का दुरुपयोग न हो और यह एक नियंत्रित अनुशासनात्मक उपाय बना रहे।
उदाहरण:
यदि किसी अपराधी को छह महीने के कठोर कारावास की सजा मिली है, तो:
उसे हर महीने अधिकतम 7 दिन ही एकांत कारावास में रखा जा सकता है।
यदि उसे 7 दिनों के लिए एकांत कारावास दिया गया, तो अगले 7 दिन तक उसे सामान्य कारावास में रहना होगा।