धारा 27: बच्चों और विक्षिप्त व्यक्तियों के हित में की गई सच्ची नीयत वाली कार्रवाई को कानूनी संरक्षण

धारा 27 कहती है कि यदि कोई कार्य सच्ची नीयत से और किसी 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे या विक्षिप्त व्यक्ति के लाभ के लिए किया जाए, और वह अभिभावक द्वारा या उसकी सहमति से किया गया हो, तो वह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा, भले ही उससे कुछ हानि हो जाए।

मुख्य बिंदु:

सच्ची नीयत और अभिभावक की सहमति:

कार्य बच्चे या विक्षिप्त व्यक्ति के हित में होना चाहिए।

कार्य सच्ची नीयत से किया गया हो।

अभिभावक की सहमति (स्पष्ट या परोक्ष रूप से) प्राप्त हो।

इस छूट की सीमाएं:

(a) जानबूझकर मृत्यु या मृत्यु का प्रयास।

(b) ऐसा कार्य जो मृत्यु की संभावना रखता है, जब तक वह जीवन बचाने या बीमारी के इलाज के लिए न हो।

(c) जानबूझकर गंभीर चोट देना, जब तक वह बचाव या इलाज के लिए न हो।

(d) ऐसे अपराध का उकसावा, जो स्वयं इस छूट के दायरे में न हो।

उदाहरण:

एक पिता अपने बच्चे के इलाज के लिए डॉक्टर से सर्जरी कराने की अनुमति देता है, जिसे करने में मृत्यु का खतरा है।

उद्देश्य बच्चे का इलाज है, हत्या नहीं।

इसलिए यह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।