धारा 34 यह स्पष्ट करती है कि कोई भी कार्य जो व्यक्ति द्वारा अपनी रक्षा के अधिकार के प्रयोग में किया गया हो, उसे अपराध नहीं माना जाएगा।
मुख्य बिंदु:
यदि कोई व्यक्ति: स्वयं की रक्षा, किसी अन्य व्यक्ति की रक्षा, या अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए कोई कार्य करता है,
और वह कार्य निजी बचाव के अधिकार के तहत किया गया हो, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।
यह कैसे सुरक्षा देता है:
व्यक्ति को यह अधिकार देता है कि वह तत्काल खतरे की स्थिति में कार्रवाई कर सके।
ऐसे लोगों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जो खुद को या दूसरों को बचाते हैं।
यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति अपने अधिकारों की रक्षा करते समय अपराधी न बने।
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति आप पर हमला करता है, और आप अपनी रक्षा में उसे धक्का देते हैं या प्रतिरोध करते हैं, तो आपका कार्य अपराध नहीं है।
यदि कोई चोर रात में आपके घर में घुसने की कोशिश करता है, और आप उसे रोकते या पकड़ते हैं, तो यह कार्य भी निजी बचाव के दायरे में आता है।