भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 25 यह कहती है कि यदि कोई कार्य 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति की सहमति से किया जाता है, और उसका उद्देश्य या संभावना मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने की नहीं होती, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा, भले ही उससे कुछ हानि हो।
मुख्य प्रावधान
सहमति से किए गए कार्य अपराध नहीं माने जाएंगे
यदि कार्य का उद्देश्य गंभीर चोट या मृत्यु नहीं है, और
18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति सहमति देता है,
तो यह अपराध नहीं होगा।
स्वीकार किए गए जोखिमों के लिए आपराधिक दायित्व नहीं
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी गतिविधि में भाग लेता है, और
उसे संभावित चोट का जोखिम पता होता है,
तो दूसरे व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
सहमति देने वाला व्यक्ति वयस्क होना चाहिए
18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति की सहमति इस धारा के अंतर्गत वैध नहीं मानी जाएगी।
उदाहरण
यदि दो व्यक्ति तलवारबाज़ी (fencing) खेलते हैं और किसी एक को हल्की चोट लगती है, तो यह अपराध नहीं होगा क्योंकि सहमति दी गई थी।
यदि एक डॉक्टर मरीज की सहमति से मामूली सर्जरी करता है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है
खेल और अन्य शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सहमति के अधिकार की रक्षा करती है।
कानूनी मामलों में अनावश्यक मुकदमों को रोकती है।