भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 21 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई बच्चा सात से बारह वर्ष की उम्र के बीच कोई कार्य करता है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा, यदि वह उस कार्य के परिणामों को समझने की पर्याप्त मानसिक क्षमता प्राप्त नहीं कर पाया है।
मुख्य प्रावधान:
सात से बारह वर्ष के बच्चों के लिए सशर्त आपराधिक दायित्व
यदि बच्चा कार्य के परिणामों को नहीं समझता, तो वह दंडनीय नहीं होगा।
यदि बच्चा पर्याप्त मानसिक परिपक्वता रखता है, तो उसे अपराध के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
“डोली इनकैपैक्स” सिद्धांत (Doli Incapax)
7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पूर्ण कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है।
7-12 वर्ष के बच्चों को तभी उत्तरदायी ठहराया जा सकता है जब साबित हो कि वे अपराध के परिणामों को समझते थे।
अदालत बच्चे की मानसिक परिपक्वता की जांच करेगी।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?
छोटे बच्चों को अनुचित रूप से दंडित होने से बचाती है।
बच्चों में सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाने को बढ़ावा देती है।
कानूनी हस्तक्षेप केवल तभी किया जाता है जब बच्चा अपराध के परिणामों को समझे।
उदाहरण:
एक 9 वर्षीय बच्चा दुकान से पैसे उठा लेता है, यह सोचकर कि यह खेल का हिस्सा है → अपराध नहीं माना जाएगा।
एक 10 वर्षीय बच्चा जानबूझकर चोरी की योजना बनाता है और उसे अंजाम देता है → उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।