धारा 20: सात वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 20 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई बच्चा सात वर्ष से कम आयु का है, तो उसके द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं माना जाएगा। इसका आधार यह सिद्धांत है कि सात वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सही और गलत का भेद करने की मानसिक क्षमता नहीं होती।

मुख्य प्रावधान:

सात वर्ष से कम आयु के बच्चों को पूर्ण कानूनी संरक्षण

यदि कोई बच्चा सात वर्ष से कम उम्र का है, तो उसे किसी भी अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता।

“डोली इनकैपैक्स” सिद्धांत (Doli Incapax Principle)

कानून यह मानता है कि इस आयु के बच्चे में अपराध की मानसिकता (Mens Rea) नहीं होती।

इसलिए, बच्चे को अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?

छोटे बच्चों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने से रोकती है।

बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास को कानूनी प्रक्रियाओं से प्रभावित होने से बचाती है।

सजा के बजाय सुधार और शिक्षा को बढ़ावा देती है।

उदाहरण:

यदि एक पांच वर्षीय बच्चा दुकान से पैसे उठा लेता है, यह सोचकर कि यह खेल का हिस्सा है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।

यदि छह वर्षीय बच्चा खेलते समय किसी को चोट पहुंचा देता है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा।