धारा 1: भारत में आपराधिक कानून की नई नींव

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 1 इस कानून का आधिकारिक नाम, प्रवर्तन की तिथि, और इसके लागू होने के दायरे को परिभाषित करती है।

यह संहिता भारतीय दंड संहिता (IPC) का स्थान लेती है और अपराधों के लिए भारतीय न्याय क्षेत्र को स्पष्ट करती है।

मुख्य प्रावधान:
संक्षिप्त नाम: इस अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, 2023 कहा जाएगा।

प्रारंभ: यह अधिनियम केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से लागू होगा और विभिन्न प्रावधान अलग-अलग तिथियों पर प्रभावी हो सकते हैं।

भारत में लागू:
कोई भी व्यक्ति जो भारत में अपराध करता है, वह इस संहिता के तहत दंडनीय होगा।

भारत से बाहर किए गए अपराधों पर लागू:
यदि कोई व्यक्ति भारत से बाहर कोई अपराध करता है, लेकिन भारतीय कानून के तहत वह अपराध दंडनीय है, तो उसे भारत में भी दंडित किया जा सकता है।

BNS इन मामलों में भी लागू होगी:
कोई भी भारतीय नागरिक जो विदेश में अपराध करता है।

कोई भी व्यक्ति जो भारत में पंजीकृत जहाज या विमान पर अपराध करता है, चाहे वह कहीं भी हो।

कोई भी व्यक्ति जो भारत स्थित किसी कंप्यूटर संसाधन को निशाना बनाकर अपराध करता है, चाहे वह भारत के बाहर हो।

विशेष कानूनों पर प्रभाव नहीं:
यह संहिता भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना के अधिकारियों, सैनिकों, नाविकों, और वायुसैनिकों के विद्रोह और भगोड़े होने से संबंधित विशेष कानूनों को प्रभावित नहीं करेगी।

उदाहरण:
यदि कोई भारतीय नागरिक किसी विदेशी देश में हत्या करता है, तो उसे भारत में पकड़कर मुकदमा चलाया जा सकता है।

यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है:
यह धारा भारत की न्यायिक शक्ति को मजबूत करती है और यह सुनिश्चित करती है कि अपराधी, चाहे वे कहीं भी हों, भारतीय कानून से बच न सकें।

अन्य उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर रहकर भारतीय बैंक को हैक करता है, तो उसे इस संहिता के तहत भारत में दंडित किया जा सकता है।