भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 18 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई व्यक्ति कानूनी रूप से, उचित सावधानी और सही तरीकों से कोई कार्य कर रहा हो और संयोगवश (Accident) या दुर्भाग्यवश (Misfortune) किसी को नुकसान हो जाए, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
मुख्य प्रावधान:
आकस्मिक घटनाएँ अपराध नहीं मानी जाएंगी
यदि कोई कार्य पूरी तरह से दुर्घटनावश होता है और उसमें कोई आपराधिक इरादा या जानकारी शामिल नहीं होती, तो वह अपराध नहीं होगा।
कोई कार्य अपराध न माने जाने के लिए ये शर्तें पूरी होनी चाहिए:
वैध कार्य (Lawful Act) – कार्य अवैध न हो।
वैध तरीके से किया गया हो – सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो।
वैध साधनों का उपयोग किया गया हो – केवल कानूनी रूप से अनुमत उपकरणों या विधियों का उपयोग किया गया हो।
उचित सावधानी बरती गई हो – व्यक्ति ने समुचित सुरक्षा उपाय अपनाए हों।
उदाहरण:
काम करते समय हुई दुर्घटना
A एक कुल्हाड़ी (Hatchet) से लकड़ी काट रहा था, और अचानक उसका फलक (blade) निकलकर पास खड़े व्यक्ति को लग गया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
यदि A ने कुल्हाड़ी सावधानी से चलाई और किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
यह कैसे सुरक्षा प्रदान करती है?
अनजाने में हुई घटनाओं के लिए निर्दोष लोगों को सजा से बचाती है।
सुनिश्चित करती है कि केवल जानबूझकर या लापरवाही से किए गए कार्यों को ही अपराध माना जाए।
लोगों को उनके काम में उचित सतर्कता बरतने के लिए प्रेरित करती है।
अन्य उदाहरण:
यदि कोई ड्राइवर सभी ट्रैफिक नियमों का पालन कर रहा है, लेकिन अचानक एक बच्चा सड़क पर आ जाता है और दुर्घटना हो जाती है, तो यदि ड्राइवर ने सावधानी बरती थी, तो यह अपराध नहीं होगा।
यदि कोई राजमिस्त्री सावधानीपूर्वक दीवार बना रहा था, लेकिन एक अनदेखी दोष के कारण दीवार गिर गई, तो यह अपराध नहीं होगा यदि उसने कोई लापरवाही नहीं की थी।